Hullad Muradabadi ( हुल्लड़ मुरादाबादी )

पुरानी शायरी नये संदर्भ (पैरोडियाँ)

अभी तो मैं जवान हूँ
ज़िन्दगी़ में मिल गया कुरसियों का प्यार है
अब तो पाँच साल तक बहार ही बहार है
कब्र में है पाँव पर
फिर भी पहलवान हूँ
अभी तो मैं जवान हूँ।

मुझसे पहली-सी मुहब्बत
सोयी है तक़दीर ही जब पीकर के भांग
महँगाई की मार से टूट गई है टाँग
तुझे फोन अब नहीं करूँगा
पी.सी.ओ. से हांगकांग
मुझसे पहले सी मुहब्बत मेरे महबूब न माँग।

ऐ इश्क मुझे बरबाद न कर
तू पहले ही है पिटा हुआ ऊपर से दिल नाशाद न कर
जो गई ज़मानत जाने दे वह जेल के दिन अब याद न कर
तू रात फोन पर डेढ़ बजे विस्की रम की फरियाद न कर
तेरी लुटिया तो डूब चुकी ऐ इश्क मुझे बरबाद न कर

जब लाद चलेगा बंजारा
इक चपरासी को साहब ने कुछ ख़ास तरह से फटकारा
औकात न भूलो तुम अपनी यह कह कर चाँटा दे मारा
वह बोला कस्टम वालों की जब रेड पड़ेगी तेरे घर
सब ठाठ पड़ा रह जाएगा जब लाद चलेगा बंजारा


Hullad Muradabadi ( हुल्लड़ मुरादाबादी ) (India, 1964). Poeta.